माँ की होती प्यारी बिटिया रानी,
पिता की प्राण प्यारी बिटिया रानी,
भैया की होती दुलारी बिटिया रानी,
बहना संग झूमे दुलारी बिटिया रानी।
नन्हें कदमो संग करती अठखेली,
तोतली भाषा मे कहती दादा दादा,
दादी की होती लाड़ली गुड़िया रानी,
बुआ भतीजी करतीं केलि अलबेली।
मन मोहती मोहिनी हो जाती किशोरी,
अब दुनिया मे चैन कहाँ जग भया बैरी ,
फूँक फूँक कर रखना कदम लाडो मेरी,
माँ कहती दिन रैन, ले जाती हो तुम चैन।
आई जवानी रग रग से राग टपकता,
मदमाते नैना रूप मनोहर मन मे बसता,
देख देख बैरी जमाना आहे भरता ,
जीना, चलना मुश्किल बेगाना करता।
जीवन पूरा जिये खुशियाँ भी वो,
भर झोली पाये कोई न दुःख वो,
कभी उठाए, बस बैरी जमाना जीने दे,
मुक्त प्रसन्न और पंख उसे फैलाने दे।
नूतन मेरी तेरी इसकी उसकी सबकी,
बिटिया रानी ये प्यारी बिटिया रानी॥
पिता की प्राण प्यारी बिटिया रानी,
भैया की होती दुलारी बिटिया रानी,
बहना संग झूमे दुलारी बिटिया रानी।
नन्हें कदमो संग करती अठखेली,
तोतली भाषा मे कहती दादा दादा,
दादी की होती लाड़ली गुड़िया रानी,
बुआ भतीजी करतीं केलि अलबेली।
मन मोहती मोहिनी हो जाती किशोरी,
अब दुनिया मे चैन कहाँ जग भया बैरी ,
फूँक फूँक कर रखना कदम लाडो मेरी,
माँ कहती दिन रैन, ले जाती हो तुम चैन।
आई जवानी रग रग से राग टपकता,
मदमाते नैना रूप मनोहर मन मे बसता,
देख देख बैरी जमाना आहे भरता ,
जीना, चलना मुश्किल बेगाना करता।
जीवन पूरा जिये खुशियाँ भी वो,
भर झोली पाये कोई न दुःख वो,
कभी उठाए, बस बैरी जमाना जीने दे,
मुक्त प्रसन्न और पंख उसे फैलाने दे।
नूतन मेरी तेरी इसकी उसकी सबकी,
बिटिया रानी ये प्यारी बिटिया रानी॥
सुन्दर रचना | बिटिया रानी सबकी प्यारी |
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धन्यवाद , तुषार जी , आपका भी लेख पढ़ा बहुत ही बढ़िया है ।
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteबिटिया की महिमा अनन्त है।
साझा करने के लिए आभार...!
धन्यवाद, शास्त्री जी ।
Deleteबहुत अच्छा!
ReplyDeletelatest post तुम अनन्त
latest post कुत्ते की पूंछ
धन्यवाद ,आपकी रचनाए भी अच्छी है ।
Deleteबहुत सुंदर रचना
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ReplyDeleteविचारपूर्ण भावुक
सुंदर सार्थक रचना
उत्कृष्ट प्रस्तुति
आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों
बेहतरीन रचना है,पर बेटी की आज क्या हालत कर दी है इन दरिंदो ने
ReplyDeletesundar rachna........nazar lag gayi hai betiton ko
ReplyDeleteमन मोहती मोहिनी हो जाती किशोरी,
ReplyDeleteअब दुनिया मे चैन कहाँ जग भया बैरी ,
फूँक फूँक कर रखना कदम लाडो मेरी,
माँ कहती दिन रैन, ले जाती हो तुम चैन।
कविता बहुत सुंदर और सटीक है…...सचमुच इस ५ साल की गुड़िया जिसका दिल्ली में बलात्कार हुआ ,क्या दोष था उसका ...उसके परिवार के दिल पे क्या गुज़र रही होगी ...खासकर उसकी माँ के. ..
http://boseaparna.blogspot.in/
well written.
ReplyDeletevinie
आप सबका बहुत आभार ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
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