वीर चले है देखो लड़ने,
दुश्मन से सरहद पर भिड़ने,
“तिरंगा” शान से लहराता,
शुभाशीष दे रही भारतमाता,
जोश से सीने लगे है फूलने,
कदम लगे है आगे बढ़ने,
अपनों से ले रहे बिदाई,
माँ की छाती है भर आई,
सपूत हो ना पीठ दिखाना,
अपनी माँ की लाज बचाना,
हुक्म तुम्हारी माँ है करती,
बेटे की कुर्बानी से नहीं डरती,
दोनों ही करते है कुर्बान,
माँ ममता को और जान को जवान,
इसीलिए तो है “मेरा भारत महान” सबका प्यारा हिन्दुस्तान……
प्रस्तुति :- सुधीर बाजपेई
दुश्मन से सरहद पर भिड़ने,
“तिरंगा” शान से लहराता,
शुभाशीष दे रही भारतमाता,
जोश से सीने लगे है फूलने,
कदम लगे है आगे बढ़ने,
अपनों से ले रहे बिदाई,
माँ की छाती है भर आई,
सपूत हो ना पीठ दिखाना,
अपनी माँ की लाज बचाना,
हुक्म तुम्हारी माँ है करती,
बेटे की कुर्बानी से नहीं डरती,
दोनों ही करते है कुर्बान,
माँ ममता को और जान को जवान,
इसीलिए तो है “मेरा भारत महान” सबका प्यारा हिन्दुस्तान……
प्रस्तुति :- सुधीर बाजपेई
ग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है
ReplyDeletewah ! bahut sundar prastuti
ReplyDeleteबहुत ओजस्वी रचना .........
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