Tuesday, 16 April 2013

वो तुम ही तो थे

मेरी नींदों मे ख्वाब बन कर रहते थे,
वो तुम ही तो थे ,
जिसके सपने मेरी आँखों ने सँजोये थे,
वो तुम ही तो थे ,
जो रहता था मेरे दिल की किसी ,
गहराई मे , वो तुम ही तो थे,
जिसको पाने की इच्छा थी प्रबल,
वो तुम ही तो थे । 

जो रहता है मेरे अधरों की,
 मुस्कान बन कर , वो तुम ही तो हो,
जो रहता है मेरे हृदय की लहरों मे ,
अठखेलियाँ करते,
वो तुम ही तो हो
जीवन का संगीत सिखाया जिसने,
वो तुम ही तो हो ।


जीवन का  श्रंगार   हो तुम,
 बगिया के बागवान हो तुम,
स्नेह के रहनुमा हो तुम,
प्यार का पाठ हो तुम ,
मेरा  हो विश्वास तुम,
जो "नूतन" रहबर मेरा, वो  तुम ही .......  हो।  




17 comments:

  1. Bahut achi hain

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  2. Nice one. Plz visit & follow my blogs.

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    1. आप अपने ब्लॉग का लिंक दें प्लीज़ ।

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  3. http://samrastamunch.blogspot.in
    यहां पर छापी है आपकी सुन्दर प्रसतुती अगर अच्छा न लगे तो हमें बता देना दोवारा न छापेंगे

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    1. मुझे इस लिंक पर मेरी पोस्ट नहीं मिली कहाँ और कब प्रकाशित हो रही है ।

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  4. प्रेम की गहन अनुभूति
    सुंदर रचना
    उत्कृष्ट प्रस्तुति
    बधाई

    आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों

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    1. आप अपने ब्लॉग का लिंक दें प्लीज़ ।

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  5. बेहतरीन कविता है बधाई

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  6. बहुत सुन्दर कविता है

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  7. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल बुधवार (17-04-2013) के "साहित्य दर्पण " (चर्चा मंच-1210) पर भी होगी! आपके अनमोल विचार दीजिये , मंच पर आपकी प्रतीक्षा है .
    सूचनार्थ...सादर!

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    1. प्रकाशन का लिंक अवश्य दीजिएगा ।

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  8. गहन अनुभूति ,सुंदर रचना !
    आपभी मेरे ब्लॉग का अनुशरण करें, अच्छा लगेगा ,मैंने आपका किया है.
    http://kpk-vichar.blogspot.in
    latest post"मेरे विचार मेरी अनुभूति " ब्लॉग की वर्षगांठ

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  9. बहुत सुंदर .बेह्तरीन अभिव्यक्ति

    http://madan-saxena.blogspot.in/
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