एक्जाम स्ट्रेस
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आपाधापी भरे माहौल मे जब
आज प्रतिस्पर्धा का युग है । इसमे हर व्यक्ति अपने को श्रेष्ठ साबित करने के चक्कर
मे लगा हुआ है तब बच्चों मे परीक्षा से पहले थोड़ा असामान्य हो जाना एक आम बात है
किन्तु तनाव ग्रस्त होना चिंता का विषय है । प्रायः देखने मे आता है कि माता पिता अपने
बच्चों को और उनकी स्टडीज़ को अपना स्टेट्स सिंबल बना लेते है ,
जिस कारण वे बच्चों पर प्रेशर डालते है कि उनके इतने परसेंट से कम मार्क्स नहीं
आने चाहिए वरना उनके माता पिता की इज्जत मिट्टी मे मिल जाएगी । बिना अपने बच्चों
का स्तर समझे इस बेतुकी जिद को उन थोप दिया जाता है । जिससे उन पर मानसिक दबाव
बढ़ता जाता है । और वे डिप्रेशन के शिकार भी होने लगते है फलस्वरूप न तो वे सही
प्रदर्शन कर पाते है और न ही ठीक से जी पाते है । उनका जीना तक मुश्किल हो जाता है
कभी कभी ये डिप्रेशन उनकी मृत्यु मे परिणत होता है ।
ये लक्षण परिलक्षित हो
सकते है जिन्हे दो भागों मे बाँट सकते है । 1] शारीरिक 2] भावनात्मक
शारीरिक लक्षण
सिर दर्द ,
पीठ दर्द , छाती दर्द , जबड़ों मे जकड़न , अधिक पसीना आना ,
सांस रुकती सी लगना, दिल का तेज धड़कना , नींद की कमी ,
पेट दर्द या कब्जियत , किसी काम मे मन न लगना ,
हाथ पाँव फूलना , मांस पेशियों मे दर्द ,
हाथ पाँव ठंडे होना ।
भावात्मक लक्षण
क्रोध अधिक आना ,
चिड़चिड़ा पन , डिप्रेशन , ध्यान केन्द्रित न कर पाना ,
अपराध बोध , व्याकुलता , असुरक्षा कि भावना ।
इन लक्षणों के परिलक्षित
होने पर तुरंत चेत जाना चाहिए , अपने बच्चों को सही मार्ग दिखाएँ ।
क्या करें –
शांत रहने की कोशिश करें ,
लगातार पढ़ते रहने के बजाय छोटे छोटे अंतराल पर पढ़ते रहे । बीच बीच मे उठकर टहले ।
मन को काबू मे रखने के लिए मेडिटेशन करें , शरीर को स्वस्थ रखने के लिए योगासन करें । गहरी
गहरी साँस खींचे औए छोड़े इस क्रिया को लगातार करे , जैसे ही उपरोक्त किसी
लक्षण को महसूस करें उठ कर चलना शुरू कर दें । मन को किसी दूसरे काम मे लगाए ।
चाहे तो कोई मन पसंद किताब पढ़ें या कोई गाना सुने । किसी बेहद पसंदीदा मूवी की क्लिप्स
देखें जिनमे आपको आनंद आया था । इससे आपको काफी रिलैक्स होगा । छोटे छोटे टार्गेट
( लक्ष्य ) बनाए जिन्हे आप आसानी से खत्म कर सकें । पर्याप्त नींद लें । लगातार
टुकड़ों मे पढ़ने की आदत डालें । नियमित रूप से चार से पाँच घंटे स्कूली शिक्षा के
अलावा पढ़ते रहे । लगातार पढ़ते रहने से आपको एक्जाम के समय स्ट्रेस नहीं होगा और
तैयारी सुचारु रूप से कर सकते है । पुराने पेपर्स और सैंपल पेपर्स को भी हल करते
रहे । परीक्षाओं के समय सिर्फ रिविज़न का कम बाकी रखें । असुविधा होने पर अपने
अध्यापकों और ट्यूटर की सहायता लें । सुपाच्य भोजन करें ताकि पाचन संबंधी समस्या न
हो ।
क्या न करें
जंक फूड से जहां तक हो सके
परहेज करें या निश्चित रूप से न खाएं । नींद के साथ सम्झौता न करें । अपना अमूल्य
समय व्यर्थ न गंवाये । एक साथ सभी कुछ पढ़ने आदत से बचें ।
ये बातें हो सकती है सहायक
अपने आपको परखें ।
अपने लक्षय खुद निर्धारित
करें ।
लक्ष्य पहले छोटे छोटे
बनाइये फिर अपनी क्षमता के अनुसार बढ़ा लें ।
प्रत्येक विषय वस्तु को
ठीक से परखे उसी के अनुरूप तैयारी करें ।
प्रतिदिन अपना टेस्ट खुद
लें ।
अपना स्तर खुद एक
विद्यार्थी से ज्यादा नहीं जानता , इसलिए अपने स्तर के अनुसार लक्ष्य बना कर पढ़ाई
करें ।
माता पिता बच्चो पर
अनावश्यक प्रेशर न डालें ।
अध्यापक भी बच्चों को प्रोत्साहित
करते रहे , उनको हतोत्साहित कदापि न करें ।
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