चाँदी के रथ पे सवार लिए जीवन नवल
प्रिय सखी निशा संग
भरती किलकारियाँ
गगन से धरा तक
करती अठखेलियाँ
रूप किशोरी सी चंद्रिका आयी धवल .........
शशि प्रियतम संग
चमचम सितारों वाली
श्याम चुनरिया ओढ़े
धीरे धीरे दबे पाँव
प्रिय सुंदरी सी चंद्रिका आयी धवल ................
दुग्ध अभिसिंचित हये
सभी तरुवर तड़ाग
मुसकुराती बलखाती
ममता से दुलारती
माँ सी चंद्रिका आयी धवल ....................
रागिनी सुनाती राग
कलरव करता विहाग
नीरवता का आवरण
तम बंधनों को तोड़ती
सुर सुंदरी सी चंद्रिका आयी धवल ..................
निशा थक कर जाने लगी
उषा भी आने आने लगी
गीत मिलन के गाने लगी
पुनर्मिलन की अभिलाषा मे
चिर प्रीतम संग चंद्रिका चली धवल ......................
चाँदी के रथ पे सवार लिए जीवन नवल
चिर प्रीतम संग चंद्रिका आयी धवल ..............
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बृहस्पतिवार (26-07-2014) को भोले-बाबा अब तो आओ { चर्चा - 1536 } में "अद्यतन लिंक" पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आप अच्छा व दिल से लिखती हैं ...
ReplyDeleteआपका हार्दिक आभार ।
ReplyDeletesaras rachna hetu badhaee.
ReplyDeleteit will be published in swayam sahara..!
ReplyDeleteआपका हार्दिक आभार ।
Deleteसुन्दर अति भावपूर्ण रचना ..
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