Monday, 24 February 2014

समर शेष !! ..............

( 1 ) 
दो पुष्प खिले 
हर्षित हृदय 
लीं बलैयां 
( 2 )
धीरे धीरे 
बढ़ चले राह 
पकड़ी बचपन डगर 
( 3 )
मार्ग दुर्गम 
वे थामे अंगुली 
आशित जीवन 
( 4 )
हुये बड़े 
बीता बचपन 
डाले गलबहियाँ 
( 5 )
संस्कार भरे 
करते मान सम्मान 
न कभी अपमान 
( 6 )
जीवन बदला 
खुशियाँ आईं 
सुखद क्षण 
( 7 ) 
समय बदला 
कुछ बिखरा 
टूटने लगा 
( 8 ) 
बढ़ी दरार 
नहीं मान सम्मान 
हुये मन भेद  
( 9 ) 
खींची तलवारें 
रिश्ते कट गए 
सब समाप्त 
( 10 ) 
गिरी दीवारें 
ढह गया सब 
किन्तु समर शेष !! ...............

2 comments:

  1. जन्म से मृत्यु तक का लेखा जोखा इन क्षणिकाओं में लिख दिया ... लाजवाब ..

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