Saturday, 9 November 2013

नव युवा हे ! चिर युवा ..................


नव युवा हे ! चिर युवा तुम
उठो ! नव युग का निर्माण करो ।
जड़ अचेतन हो चुका जग,
तुम नव चेतन विस्तार करो ।
पथ भ्रष्ट लक्ष्य विहीन होकर
न स्व यौवन संहार करो ।
उठो ! नव युग का निर्माण करो ...............
दीन हीन संस्कार क्षीण अब
तुम संस्कारित युग संचार करो ।
अभिशप्त हो चला है भारत !!
उठो ! नव भारत निर्माण करो ।
नव युवा हे ! चिर युवा ..............................
गर्जन तर्जन  ढोंगियों का
कर रहा मानव मन क्रंदन ।
सिंहों सी गर्जन अब हुंकार भरो
उठो सत्य प्रति मूर्ति नरेंद्र बनो ।
नव युवा हे ! चिर युवा ........................
गूँजे हुंकार कि काँप उठे दुष्प्रहरी
न मृगछौना बन शावक केसरी ।
चंहु दिशि गुंजित कर दे
ऐसी सिंह दहाड़ करो ।
नव युवा हे! चिर युवा.............अन्नपूर्णा 










13 comments:

  1. सच। … अब तो सुलझी हुई युवा पीढ़ी ही कुछ कर सकती है। यह नेता लोग तो जनता की मेहनत की कमाई को बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। बहुत सटीक आह्वान अन्नपूर्णा जी :)

    ReplyDelete
  2. बहुत सुन्दर आह्वान है !
    नई पोस्ट काम अधुरा है

    ReplyDelete
  3. आ0 काली पद जी , अपर्णा जी , आ0 शास्त्री जी , निहार रंजन जी अप सभी का हार्दिक आभार ।

    ReplyDelete
  4. प्रेरक रचना।
    वाह।

    ReplyDelete

  5. प्रेरणा से जीवंत रचना

    ReplyDelete
  6. बहुत सुन्दर आह्वान करती रचना | बहुत बहुत बधाई आप को

    ReplyDelete
  7. बहुत सुंदर प्रेरक अभिव्यक्ति..!

    RECENT POST -: कामयाबी.

    ReplyDelete
  8. आदरणीय धीरेन्द जी , आ0 मीना जी , आ0 मनके मनके जी , आ0 कुँवर कुसुमेश , आ0 वान भट्ट जी आपका हार्दिक आभार ।

    ReplyDelete
  9. बहुत बढ़िया प्रभावशाली प्रस्तुति और आह्वान ......

    ReplyDelete
  10. युवाओं के लिए प्रेरक रचना ,बढियाँ

    ReplyDelete