नव युवा हे ! चिर युवा तुम
उठो ! नव युग का निर्माण
करो ।
जड़ अचेतन हो चुका जग,
तुम नव चेतन विस्तार करो ।
पथ भ्रष्ट लक्ष्य विहीन
होकर
न स्व यौवन संहार करो ।
उठो ! नव युग का निर्माण
करो ...............
दीन हीन संस्कार क्षीण अब
तुम संस्कारित युग संचार करो
।
अभिशप्त हो चला है भारत !!
उठो ! नव भारत निर्माण करो
।
नव युवा हे ! चिर युवा
..............................
गर्जन तर्जन ढोंगियों का
कर रहा मानव मन क्रंदन ।
सिंहों सी गर्जन अब हुंकार
भरो
उठो सत्य प्रति मूर्ति
नरेंद्र बनो ।
नव युवा हे ! चिर युवा ........................
गूँजे हुंकार कि काँप उठे
दुष्प्रहरी
न मृगछौना बन शावक केसरी ।
चंहु दिशि गुंजित कर दे
ऐसी सिंह दहाड़ करो ।
नव युवा हे! चिर
युवा.............अन्नपूर्णा
अति सुन्दर आह्वान!
ReplyDeleteसच। … अब तो सुलझी हुई युवा पीढ़ी ही कुछ कर सकती है। यह नेता लोग तो जनता की मेहनत की कमाई को बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। बहुत सटीक आह्वान अन्नपूर्णा जी :)
ReplyDeleteबहुत सुन्दर आह्वान है !
ReplyDeleteनई पोस्ट काम अधुरा है
आ0 काली पद जी , अपर्णा जी , आ0 शास्त्री जी , निहार रंजन जी अप सभी का हार्दिक आभार ।
ReplyDeleteबहुत खूब...
ReplyDeleteबहुत खूब...
ReplyDeleteप्रेरक रचना।
ReplyDeleteवाह।
ReplyDeleteप्रेरणा से जीवंत रचना
बहुत सुन्दर आह्वान करती रचना | बहुत बहुत बधाई आप को
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रेरक अभिव्यक्ति..!
ReplyDeleteRECENT POST -: कामयाबी.
आदरणीय धीरेन्द जी , आ0 मीना जी , आ0 मनके मनके जी , आ0 कुँवर कुसुमेश , आ0 वान भट्ट जी आपका हार्दिक आभार ।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्रभावशाली प्रस्तुति और आह्वान ......
ReplyDeleteयुवाओं के लिए प्रेरक रचना ,बढियाँ
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