Friday, 15 November 2013

ओपेन बुक्स ऑनलाइन के महा उत्सव मे जिसका शीर्षक था ' हम आजाद हैं ' मे मेरी भी रचना ।

अतुकांत कविता - हम आजाद हैं 
वो पंख फड़फड़ाते पंछी 
उड़ते विस्तृत आकाश 
सुंदर जगत विचरते 
चुपके से कह गए 
हम आजाद हैं ....

माँ का आंचल थामे 
मचले अंगुली पकड़े 
तेरा प्यार है मेरा संबल 
तेरी ममता की छांव 
बच्चा बोला हम आजाद है...

घुमड़ते बादल का टुकड़ा 
भरे भीतर नीर 
उड़ता जाए इधर उधर 
गरज कर बोला
मन की करने को हम आजाद है...

देश मुरझाया सा 
इंसान कुम्हलाया सा 
सत्ता की उनींदी अँखिया 
लो आ गया चुनावी मौसम
चुन लो नेता अपना 
अब हम आजाद है................... अन्नपूर्णा बाजपेई 

3 comments:

  1. बहुत सुन्दर रचना

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  2. देश मुरझाया सा
    इंसान कुम्हलाया सा
    सत्ता की उनींदी अँखिया
    लो आ गया चुनावी मौसम
    चुन लो नेता अपना
    अब हम आजाद है................... अन्नपूर्णा बाजपेई

    सुन्दर रचना ,बोल अब जय मोदी की।

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  3. बहुत सुंदर रचना !!

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