घुट घुट के जीता मरता है
ये आम आदमी ,
अब दिन रात तड़पता है ये आम
आदमी ।
कब तलक यूं ही मरेगा ये आम
आदमी ,
एक दिन तो जी उठेगा ये आम
आदमी ।
दर्दे हुकूमत अब जरा
मनमोहन से पूछिये ,
लगता है गले आ पड़ा है आम
आदमी ।
तरकस मे तीर है न तलवार
म्यान मे ,
अब अनशन किए पड़ा है आम
आदमी ।
लहरातीं खेतियाँ बिल्डरों
को बेच दीं ,
अब खाली कब्र ढूँढता है आम
आदमी ।
सरकार के रहमो करम पे जी
रहे है लोग ,
कहते हैं सिर फिरा हुआ है
आम आदमी ।
हुक्काम सभी चूस रहे खून
बेबसी का ,
लाचार दर्द सह रहा है अब
आम आदमी ।
एक तरफ पंजा हक़ जमा रहा
दुजी ओर कमल खिल रहा ,
उठल्लुओं की कौन कहे पिस रहा है केवल आम आदमी ।
रईसों का भोजन हुआ ये
व्यंजनों मे शामिल प्याज भी ,
अब इस नामुराद प्याज को भी
तरस रहा है आम आदमी ।
मौलिक एवं अप्रकाशित
एक तरफ पंजा हक़ जमा रहा दुजी ओर कमल खिल रहा ,
ReplyDeleteउठल्लुओं की कौन कहे पिस रहा है केवल आम आदमी ।
बुलेट प्रूफ पोडियम से नेता देंगे भाषण, राशन, किरासन ,
जो जायेगा सुनने, देखने, विष्फोट से उड़ेगा, यही आम आदमी!
सही कहा अपने आ0 जवाहर लाल जी ।
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बृहस्पतिवार (31-10-2013) "सबसे नशीला जाम है" चर्चा - 1415 में "मयंक का कोना" पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपका धन्यवाद ।
Deleteरईसों का भोजन हुआ ये व्यंजनों मे शामिल प्याज भी ,
ReplyDeleteअब इस नामुराद प्याज को भी तरस रहा है आम आदमी ।
वहुत सुन्दर समसामयिक रचना
नई पोस्ट हम-तुम अकेले
धन्यवाद आपका आ0 कालीपद जी ।
DeleteBahut umda. Prastuti
ReplyDeleteआपका हार्दिक आभार ।
Deletevery nice.i like
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteaapke kalam ki yha bahut sunder rachna hai
ReplyDeleteआपका सबका हार्दिक आभार ।
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