Thursday, 24 October 2013

कविता - मेरे प्रिय वर ................

मेरे  प्रियवर .............
स्नेह सिक्त हृदय
तुम रहते  प्राण बन
जीवन की अविरल धारा
तुम रहते अठखेलियाँ बन
तुम मेरे प्रियवर.............
मद युक्त नयन
तुम रहते काजल रेख बन
शीश पर चमकते
यों सिंदूरी रेख बन
तुम मेरे प्रियवर.....................
तुमसे ही है जीवन
हर शाम सिंदूरी
फूलों सा महके सिंगार
संग तुम्हारा  अनुपम फुलवारी ॥
मेरे प्रियवर........................................ अन्नपूर्णा बाजपेई 

1 comment:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति। ।

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