देखो सखी आज यहाँ श्याम आए है,
मोर मुकुट शीश धर उर मोतिन हार ।
मुख छवि देखि अति अनूप शशि लजाये है ।
गरे माल भुज अति विशाल सोहे सिर्वंगी भाल ,
कोमल अधर लाल मंद चाल देखि गजहु लजाये है ।
कटि मे पीत पट धरि गावत जसुमति नन्द कुमार ,
बंशी निज अधरन पे धरि तान मधुर सुनाये है ।
यमुना तीरे कदंब की डारन छिपि गावे मधुर गान ,
सुनि सुनि मधुर ध्वनि बंसी की कोयलहू शरमाये है ।
देखो सखी आज यहाँ श्याम आए है ।
राधे-राधे! जय श्री कृष्ण!
ReplyDeletesundar chavi shyam kishore ki....darshan karwa siye apne.....sundar rachna
ReplyDeleteAti Sunder,
ReplyDeleteVinnie,
I will be adding new articles & stories when once I am back to India.Vinnie
क्या बात है .. जय श्री कृष्ण
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