कुछ परछाइयाँ आडी तिरछी सी ,
कुछ लम्बी और पतली सी ।
अतीत के झरोखे से ,
दिखती है और यादों के ।
नश्तर बार बार कई बार ,
चुभते से लगते है ।
उम्र ढल जाती है ,
उनकी धुंध छँटने मे ।
अचानक कहीं से कोई,
तीर चला जाता है ,
बेंधता हुआ दिल को ,
आँसू फिर न थमते है ,
इन बहते सूखते आंसुओ से ,
करती हूँ हर बार एक वादा ,
कि अंधेरा छंट ही जाएगा ।
नूतन रौशनी फिर होगी ,
नई सुबह जरूर होगी ।
sundar abhivykti .....rachana ke liye badhai.....blog pr aamantran sweekaren
ReplyDelete.
आत्मविश्वास जगाती प्रेरक रचना!! आभार!!
ReplyDeletepositive one...bilkul nayi subah ayegi.....sundar rachna
ReplyDeleteआपकी यह रचना कल गुरुवार (04-07-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
ReplyDeleteमार्मिक अभिव्यक्ति बधाई आपको
ReplyDeleteVery well written.
ReplyDeleteVinnie
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 04/07/2013 के चर्चा मंच पर है
ReplyDeleteकृपया पधारें
धन्यवाद
very nice, please see this link
ReplyDeletehttp://ajmernama.com/guest-writer/86921/
मानव स्वभाव की सोच का अच्छा चित्रण किया है आपने,
ReplyDeleteप्रत्येक निराशा के कार्यो में एक आशा की किरण होती है
बस जरूरत है हम निराश होने की बजाय उसी को देखें !
मानव स्वभाव की सोच का अच्छा चित्रण किया है आपने,
ReplyDeleteप्रत्येक निराशा के कार्यो में एक आशा की किरण होती है
बस जरूरत है हम निराश होने की बजाय उसी को देखें !
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeletelatest post मेरी माँ ने कहा !
latest post झुमझुम कर तू बरस जा बादल।।(बाल कविता )
Nice mam
ReplyDeleteअति सुन्दर
ReplyDeletethanks all of you .
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