सुन लेते यदि धरती की पुकार ,
न होती ऐसी विषम गुहार ,
न गूँजता आर्तनाद ,
न होता भीषण संहार ,
जो बोया वही पाया ।
धरा और धारा ने ,
वही तो है लौटाया ,
फर्क बस इतना सा कि ,
कष्ट उनका हमे न दिखता था ,
उनको हमारा कष्ट भी है रुलाता ।
नूतन आज ही चलो करें प्रतिज्ञा ,
न करेंगे धरती का दोहन ,
न तोड़ेंगे पर्वत पहाड़,
बस अब लगाएंगे वृक्ष अपार ।
आपने लिखा....हमने पढ़ा....
ReplyDeleteऔर लोग भी पढ़ें; ...इसलिए शनिवार 29/06/2013 को
http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
पर लिंक की जाएगी.... आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
लिंक में आपका स्वागत है ..........धन्यवाद!
जी यशोदा जी , जरूर । आपका आभार , मेरी कविता दूर दूर तक पहुंचे वे सब भी सुने जिनहे धरती का रोदन न सुनाई देता है ।
Deleteनूतन आज ही चलो करें प्रतिज्ञा ,
ReplyDeleteन करेंगे धरती का दोहन ,
न तोड़ेंगे पर्वत पहाड़,
बस अब लगाएंगे वृक्ष अपार । ... बहुत सुंदर रचना अन्नपूर्णा जी... बधाई
मीना जी नमस्कार , और धन्यवाद उत्साह वर्धन के लिए ।
DeleteAppriciable
ReplyDeleteAppriciable
ReplyDeleteबहुत आभार शर्मा जी ।
ReplyDeleteसार्थक सन्देश के साथ बेहतरीन रचना ! बहुत सुंदर !
ReplyDeletebhut sundar .......rachana achchhi lagi
ReplyDeletesarahniy prastuti
ReplyDeleteअवश्य
ReplyDeleteपर्यावरण संगरक्षण जरुरी.... सुंदर रचना !!
ReplyDeleteअति सुन्दर ...
ReplyDeleteआपकी यह रचना कल दिनांक 27.06.2013 को http://blogprasaran.blogspot.com पर लिंक की गयी है। कृपया इसे देखें और अपने सुझाव दें।
ReplyDeletebilkul sahi kaha apne....sundar prastuti
ReplyDeleteसुन्दर अभीव्यक्ति!
ReplyDeletelatest post जिज्ञासा ! जिज्ञासा !! जिज्ञासा !!!
सही लिखा आपने..
ReplyDeleteआप सभी मित्रों का हार्दिक आभार उत्साह वर्धन के लिए ।
ReplyDeleteप्रकृति ने चेतावनी दी है. उम्मीद है सब जाग जाएँ. सुन्दर रचना.
ReplyDeleteNice presentation.
ReplyDeletevinnie
जरूरत है इस प्रतिज्ञा की..
ReplyDeleteसार्थक संदेश देती सुंदर रचना ....
ReplyDeleteशुभकामनायें ॰
सुंदर एवम् भावपूर्ण रचना...
ReplyDeleteमैं ऐसा गीत बनाना चाहता हूं...
सुन्दर
ReplyDeleteअभिव्यक्ति