वो नन्ही नन्ही सी गोल मटोल,
आंखे इधर उधर निहारती ,
कुछ तलाशती सी लगती ,
न पा सकने की स्थिति,
समझ न पाती .............
कुछ कुछ कहना चाहती ,
पर कह न पाती,
शून्य मे निहारती सी लगती,
न कह पा सकने की स्थिति,
समझ न पाती............
खुशी से टिमटिमाती,
दुःख से टपकती,
डर से सहमती वो,
भाषा को पढ़ पाने की स्थिति,
समझ न पाती ................
प्यार दुलार अच्छे से,
पढ़ जाती और ,
सब कुछ वह मौन आँखों से ,
कह लेने की स्थिति ,
समझ न पाती...............
वो दादी की गाय की,
छोटी सी बछिया ..................... अन्नपूर्णा बाजपेई
bahut achi kavita hain
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
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नवराम्वत्सर और नवसम्वतसर-२०७० की हार्दिक शुभकामनाएँ...!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
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नवरात्रों और नवसम्वतसर-२०७० की हार्दिक शुभकामनाएँ...!
सच है जानवर भी प्यार की भाषा जानते हैं ....
ReplyDeletesach hai...pyar ki bhasha sab samajh jate hain.....bhav purn rachna
ReplyDeleteबहुत प्यारी रचना
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