गम और खुशियाँ दोनों है साथ,
एक तराजू के दो पलड़े जैसे ।
आज आँसू है तो ,
कल मुसकुराती आंखे भी होगी ।
आज टपकते नैन है तो ,
कल लरजते अधर भी होंगे ।
खुशियों के लिए क्या रोना ,
ये देती है धोखा ,
दुःख जीने की राह है बनाता ।
पर कितना दुःख और कितनी खुशियाँ ......................
नूतन जीवन बस इतना सा ,
थोड़ी सी खुशी और ,
और दुःख थोड़ा सा ।
वाह! बढ़िया कविता |
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
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ये पंक्तियां बहुत सुन्दर हैं - खुशियों के लिए क्या रोना ,
ReplyDeleteये देती है धोखा ,
दुःख जीने की राह है बनाता ।
पर कितना दुःख और कितनी खुशियाँ ......................
नूतन जीवन बस इतना सा ,
थोड़ी सी खुशी और ,
और दुःख थोड़ा सा ।
सही लिखा आपने. जैसे सुख का मजा लेते हैं वैसे ही दुःख का भी लेना चाहिए.
ReplyDeleteआप लोगों हार्दिक आभार ।
ReplyDeleteवाह ... बहुत खूब यथार्थ के धरातल पर लिखी हुई खुबसूरत रचना ..... Like it
ReplyDeleteसुन्दर रचना अन्नपूर्णा जी
ReplyDeleteये ही जीवन का सत्य भी है
ReplyDeleteआप सबका हार्दिक आभार ।
ReplyDeleteमार्मिक एवं सुंदर रचना
ReplyDeleteaagrah hai mere blog men bhi sammlit hon
आपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 27/04/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
ReplyDeleteजीवन का यथार्थ ....
ReplyDeleteयही जीवन है ..
ReplyDeletesundar rachna....jiwan ka sach
ReplyDeleteअनुपमा जी, बहुत सुंदर कविता रची है आपने। बधार्इ्र।
ReplyDelete............
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You have reality of life.
ReplyDeletevinnie
सच कहा
ReplyDeleteबहुत सुन्दर....
ReplyDeleteचंद पंक्तियों में पूरे जीवन का सार लिख डाला...
पर कितना दुःख और कितनी खुशियाँ ......................
नूतन जीवन बस इतना सा ,
थोड़ी सी खुशी और ,
और दुःख थोड़ा सा ।
वाह!!!
अनु
बहुत सुन्दर और सार्थक रचना...
ReplyDeleteyathart satya ! dukh jeene ki rah banata/ agar manushya ke jivan me dukh nahi aye to use achhe bure ka gyan hi nahi ho sakta.usko samajik mulyon ki pahchan hi nahi hogi.
ReplyDeleteबढ़िया रचना |
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