Thursday, 25 April 2013

आँसू

गम और खुशियाँ दोनों है साथ,
एक तराजू के दो पलड़े जैसे ।
आज आँसू है तो ,
कल मुसकुराती आंखे भी होगी ।
आज टपकते नैन है तो ,
कल लरजते अधर भी होंगे ।
खुशियों के लिए क्या रोना ,
ये देती है धोखा ,
दुःख जीने की राह है बनाता ।
पर कितना दुःख और कितनी खुशियाँ ......................
नूतन जीवन बस इतना सा ,
थोड़ी सी खुशी और ,
और दुःख थोड़ा सा ।

20 comments:

  1. वाह! बढ़िया कविता |

    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
    Tamasha-E-Zindagi
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  2. ये पंक्तियां बहुत सुन्दर हैं - खुशियों के लिए क्या रोना ,
    ये देती है धोखा ,
    दुःख जीने की राह है बनाता ।
    पर कितना दुःख और कितनी खुशियाँ ......................
    नूतन जीवन बस इतना सा ,
    थोड़ी सी खुशी और ,
    और दुःख थोड़ा सा ।

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  3. सही लिखा आपने. जैसे सुख का मजा लेते हैं वैसे ही दुःख का भी लेना चाहिए.

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  4. आप लोगों हार्दिक आभार ।

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  5. वाह ... बहुत खूब यथार्थ के धरातल पर लिखी हुई खुबसूरत रचना ..... Like it

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  6. सुन्दर रचना अन्नपूर्णा जी

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  7. ये ही जीवन का सत्य भी है

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  8. आप सबका हार्दिक आभार ।

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  9. मार्मिक एवं सुंदर रचना

    aagrah hai mere blog men bhi sammlit hon

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  10. आपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 27/04/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!

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  11. जीवन का यथार्थ ....

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  12. यही जीवन है ..

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  13. अनुपमा जी, बहुत सुंदर कविता रची है आपने। बधार्इ्र।
    ............
    एक विनम्र निवेदन: प्लीज़ वोट करें, सपोर्ट करें!

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  14. You have reality of life.
    vinnie

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  15. बहुत सुन्दर....
    चंद पंक्तियों में पूरे जीवन का सार लिख डाला...
    पर कितना दुःख और कितनी खुशियाँ ......................
    नूतन जीवन बस इतना सा ,
    थोड़ी सी खुशी और ,
    और दुःख थोड़ा सा ।
    वाह!!!

    अनु

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  16. बहुत सुन्दर और सार्थक रचना...

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  17. yathart satya ! dukh jeene ki rah banata/ agar manushya ke jivan me dukh nahi aye to use achhe bure ka gyan hi nahi ho sakta.usko samajik mulyon ki pahchan hi nahi hogi.

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  18. बढ़िया रचना |

    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
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