Friday, 26 April 2013

पृथ्वी कहे पुकार के

धरती आज पुकारती है  ,
मत करो मेरा दोहन ,
मत छीनो सिंगार ,
 माँ हूँ तेरी सुन लो मेरा रोदन ।

एक वृक्ष तुम काटते हो ,
लहू मेरा बहता है ,
पर्वत तुम उडाते हो ,
दिल मेरा रोता है ।

तुम सरीखे और भी बच्चे मेरे ,
जिनको तुम कहते जानवर ,
मर रहे है तुम्हारे लिए,
माँ हूँ मै देख सकती नहीं मरण ,
चाहे मानव हो या जानवर । 

तुमने  हृदय मेरा फूंका,
कभी कुछ न बोली हूँ ,
पर आज तुम्हारे लिए ,
यों क्यों कर मै रोती हूँ ।

तुमने बदली नदियो की राहें ,
तरक्की जिसको कहते हो ,
जंगल तुमने काटे ,
बिल्डिंग वहां  बनाते हो ।

जब सूना होगा मेरा आँचल,
छाती भी होगी सूखी ,
कहाँ से लाओगे तुम ,
अन्न और जल की धार 
 कैसे भरोगे पेट भला।
,
जो तुम बन बैठे हो
 हरियाली के दुश्मन ,
मेरी सुंदरता फूटी आँख, 
न तुम्हें सुहाती है ,
मेरे ही बच्चे हो ये ,
सोच मुझे अब लज्जा  आती  है । 


पुकारती हूँ ..........सुन लो मेरी पुकार ,
आज अपने बच्चे के जन्म दिवस पर,
लगा कर नूतन  एक वृक्ष ,
डालो मेरे गले मे भी सौगातों का हार । 

पर्यावरण को शुद्ध बना लो,
 हर गली एक वृक्ष लगा लो ,
हर गली एक वृक्ष लगा लो ,
पूरा कर दो मेरा सिंगार ।

आह !!!!!


9 comments:


  1. बहुत अच्छी रचना ! श्रिंगार- " श्रृंगार "

    डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
    अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
    latest post बे-शरम दरिंदें !
    latest post सजा कैसा हो ?

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  2. बहुत ही अच्छा आह्वान

    सादर

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  3. पर्यावरण हिताकांक्षी शुभ भाव!! प्रणाम और शुभकामनाएँ!!

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  4. sach...prakriti ki pukar ham sab jis tarah ansuni kar rahe hain...kahin woh krodhit ho gayi to is adne se insaan ka kya hoga...is par vichar karne ka samay aa gaya hai...sunder prastuti...
    http://boseaparna.blogspot.in/

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  5. बहुत ही सुन्दर और बेहतरीन रचना.

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  6. धरती माता के साथ-साथ हम भी पुकार रहे हैं कि
    उगाओ अधिकाधिक वृक्ष
    जिससे बने वायुमंडल स्वच्छ...

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  7. bacche do ho ped hazar/ Dharti Maa! ki yahi pukar.paryavaran ki suraksha aur sanraksha hamara natik kartabya hai/ aj unnati ki andhi daud me hum paryavaran ko jo nuksan pahuncha rahe hain,bemausam barsat, Navember December me garmi, chhoti hoti sardiyan, tsunami,cyclon ye sab iska parinam hai,Prakriti ki yek angdai me humare dwara nirmit gaganchumbi imarten bhu lunthit ho jati hain.
    astu humen paryavaran ke prati jagruk ho kar pahal karne ki awasykta hai,Dharti Maa! ka ashirwad apke sath hai karwan apne ap ban jayega.

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  8. आप सबका हार्दिक धन्यवाद ।

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  9. bahut sundar rachna.....yahi pran hum sabko lena chahiyee....

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