Monday, 4 March 2013

वो प्यार रीत गया क्यूँ ?

कल तक कितने करीब थे हम ,
आज क्यूँ अजनबी से हो गए हम ।
वो प्यार वो स्नेह सब रीत गया क्यूँ ,
आलोकित चाँदनी छिप गई क्यूँ ।
वो चंद लम्हे जो आज भी याद मुझे ,
पर तुममे वो सब रीत गया क्यूँ ।
आँख आज भी भर आती है,
दो बूंद से टपक जाते है क्यूँ ।
वो नन्हें फूल बहुत याद आते मुझे ,
जिनको पहली बार सँजोया मैंने ,
सहलाया दुलराया और संवारा मैंने ,
आज वह स्रोत सूख गया क्यूँ ।
रिक्त सागर हो गया क्यूँ ,
कल तक कितने ..............

4 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुतु | उम्दा |

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  2. ये सागर रिक्त ही रहता है और प्यासा भी !

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