Sunday, 10 March 2013

टूटते जुडते रिश्ते

एक सामाजिक आख्यान मे मै सुन रही थी कि आजकल बच्चे बिगड़ गए है और माता पिता का मान सम्मान करना भी भूल गए है और वे सिर्फ अपने विषय मे ही सोचने लगे है , ऐसी ही अनेक बाते जो बच्चों को पारिलक्षित कर कही जा रही थी । सुनकर सोंचने पर मजबूर हूँ कि क्या वास्तव मे बच्चे ही बिगड़ गए है बड़े नहीं? मेरा मानना है यदि बच्चे सही राह पर नहीं है या वे पथ भ्रष्ट हो रहे हैं या हो चुके है तो उसका कारण कहीं न कहीं उनके संस्कार है जो उन्हे विरासत मे मिलते है और उनके आधुनिक हो चले माता पिता है ।
समाज अपने आप मे कुछ नहीं है वह बनता है हमारे आपके परिवारों से । आजकल एकल परिवारों का बढ़ता चलन और टूटते संयुक्त परिवार इस मानसिकता को बढ़ावा देते है । एक समय था जब बच्चे तमाम रिश्ते पहचानते थे , पर दादी - पर बाबा , बाबा- दादी , नाना- नानी , बुआ फूफा ,भैया भाभी ,चाची चाचा ऐसे अनगिनत रिश्ते जिन्के विषय मे बच्चों को बताना नहीं पड़ता था । परंतु आज तो बच्चे मॉम डैड और ज्यादा से ज्यादा नाना नानी , और अधिक जानते है तो बस दादा दादी ।  
क्यों ऐसा क्यों है ? शायद इसलिए कि माता और पिता दो ही नौकरी पेशा हैं दोनों अपने कैरियर बनाने मे लगे है उनके पास फुर्सत ही नहीं है किसी रिश्ते को निभाना और यथोचित मान सम्मान देंना उन्हे फालतू काम और समय की बरबादी लगती है । कई घरों मे तो माता पिता अपने ही बच्चों की देखभाल के लिए समय नहीं निकाल पाते है तो वे परिवार के अन्य सदस्यों को क्या समय देंगे । एकल परिवारों मे एक और बात नजर आती है वह है स्वच्छंदता । जो घर के बड़े बुजुर्गों के साथ संभव नहीं है। इस स्वच्छंदता की वजह से भी परिवारों का विघटन हो रहा है । आज हर कोई स्वच्छंद रहना चाहता है । किसी को टोका टाकी पसंद नहीं होती है । 

तो कही बड़े बुजुर्ग भी गलतियाँ कर बैठते है वे भी अपनी पुरानी मानसिकता के साथ ही रहना चाहते है और बच्चे क्या चाहते है इससे उन्हे कम सरोकार रहता है अपने बात को जबर्दस्ती मानने के लिए के लिए बाध्य कर वे एक तरह से गलत ही करते है ऐसी जगहों पर विरोध के स्वर फूटने लगते है । और परिवार बिखर जाते है । कई स्थानो पर मैंने खुद देखा है घर के  बच्चे तो सही होते है और बुजुर्ग अपनी जबर्दस्ती जिद के कारण अपना परिवार तोड़ बैठते है और फिर स्वयं ही अपने बच्चों के खिलाफ यहाँ वहाँ बाते करते है , जब वे ही बाते घूम कर बच्चों  के कानों तक आती है तब बड़ी विवादस्पद स्थितियाँ उत्पन्न हो जाती है और परिवार टूटने एक कारण ये भी है ।   

2 comments:

  1. Bahut Sundar Lekh...
    Samayik Or Samajik.
    Bareeki Se Nirikshan Karke Uchcharit Kiya Aapne. Bahut Khoob

    ReplyDelete
  2. सिलसिलेवार विश्लेषण ........... लोग सीखें तब न

    ReplyDelete