आज शायद हम सभी ये भूल गये है कि समय की मांग क्या है?
एक समय था जब हमारा देश आजाद नहीं था और हर तरफ से यही पुकार उठ रही थी कि हमे एक जुट होकर देश को आजाद कराना है , देश मे हर तरफ यही आवाज बुलंद थी । सारा देश धधक रहा था , मानवता कराह रही थी , केवल अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति की आशा मे सभी तरफ उबाल था । कवियों की लेखनियाँ भी आग उगलती थी , लेखकों के लेख भी जन चेतना को जाग्रत करने वाले होते थे । जो जन मानस मे जोश भरने का काम करते थे , नेता सच मे नेता होते थे वे भीड़ इसलिए नहीं एकत्रित करते थे कि उनका दबदबा दिखाई दे , वहाँ भीड़ अपने आप एकत्र होती थी और नेता उनकी अगुआई करते थे । गुलामी जब तक खत्म नहीं हुई तब तक समूचा राष्ट्र एकजुट होकर लड़ता रहा । कहीं अहिंसा वादी तरीके से कहीं क्रांतिकारी तरीके से , सबका उद्देश्य एक था - आजादी हासिल करना ।
आज फिर वही एकजुटता ,वही जागरण व उसी उबाल की जरूरत है । और उन जोशीली लेखनियों की जो जन मानस मे फिर से जोश भरे । उन जोशीले युवाओं की जरुरत फिर है जो आज की गुलामी से अपने भारत को आजाद कराये । किसी भी समाचार पत्र को उठा लीजिये , कोई भी समाचार का चैनल लगा लीजिये हर जगह एक ही समाचार बहुतायत से मिलता है वह है किसी भी महिला के साथ दुष्कर्म , किसी नन्ही बच्ची के साथ दुष्कर्म करने के बाद उसको जान से मार देना । ताकि वह उठ न खड़ी हो ।
क्या हो गया है मानसिकता को ?
कभी इन बीमार मानसिकता वालों को सुधारा जा सकेगा ?
सत्ता सुधारने के बजाय समूचे राष्ट्र को एकजुट होकर इस महाबीमारी दूर भागने का प्रयास करना होगा ।
हमारे युवा कुछ जाग्रत अवश्य हुये है किन्तु सही मार्ग दर्शन के बिना वे उन भेड़ बकरियों की भांति है कि जिधर भीड़ चल दी उधर ही चल दिये । अन्ना जी का आंदोलन चला काफी जन मानस ने एकत्र होकर यह साबित किया कि वह अब जाग चुके हैं । दिल्ली का समूहिक दुष्कर्म कांड हुआ भारी मात्रा मे युवाओं ने मोर्चा खोला ।
किन्तु उचित मार्ग दर्शन और सम्पूर्ण एकजुटता के साथ हमे एक एक कर इन बुराइयों को दूर भागना होगा ।
दस करोड़ मे यदि दस व्यक्ति भी उठ खड़े हुये तो चिंगारी तो तैयार हो ही जाएगी । और चिंगारी ही पूरी आग तैयार करती है । हमारे हिंदुस्तान मे सभी कानून है सभी सुविधाये भी उपलब्ध है किन्तु उचित जानकारी न होने के कारण लोग उसका फायदा नही उठा पाते है । जरूरत है ऐसी जानकारियाँ लोगो तक पहुँचने की ।
लोगो को ये विश्वास दिलाया जाना चाहिए कि हमारा प्रशासन उनके साथ ही है , उन्हे न्याय अवश्य मिलेगा । कानून हाथ मे लेने की जरूरत नहीं है । इस श्रंखला मे हमारा पुलिस प्रशासन , कानून , सामाजिक संगठन , कवि , लेखक इत्यादि अपने अपने स्तर पर सहायता कर सकते हैं ।
एक समय था जब हमारा देश आजाद नहीं था और हर तरफ से यही पुकार उठ रही थी कि हमे एक जुट होकर देश को आजाद कराना है , देश मे हर तरफ यही आवाज बुलंद थी । सारा देश धधक रहा था , मानवता कराह रही थी , केवल अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति की आशा मे सभी तरफ उबाल था । कवियों की लेखनियाँ भी आग उगलती थी , लेखकों के लेख भी जन चेतना को जाग्रत करने वाले होते थे । जो जन मानस मे जोश भरने का काम करते थे , नेता सच मे नेता होते थे वे भीड़ इसलिए नहीं एकत्रित करते थे कि उनका दबदबा दिखाई दे , वहाँ भीड़ अपने आप एकत्र होती थी और नेता उनकी अगुआई करते थे । गुलामी जब तक खत्म नहीं हुई तब तक समूचा राष्ट्र एकजुट होकर लड़ता रहा । कहीं अहिंसा वादी तरीके से कहीं क्रांतिकारी तरीके से , सबका उद्देश्य एक था - आजादी हासिल करना ।
आज फिर वही एकजुटता ,वही जागरण व उसी उबाल की जरूरत है । और उन जोशीली लेखनियों की जो जन मानस मे फिर से जोश भरे । उन जोशीले युवाओं की जरुरत फिर है जो आज की गुलामी से अपने भारत को आजाद कराये । किसी भी समाचार पत्र को उठा लीजिये , कोई भी समाचार का चैनल लगा लीजिये हर जगह एक ही समाचार बहुतायत से मिलता है वह है किसी भी महिला के साथ दुष्कर्म , किसी नन्ही बच्ची के साथ दुष्कर्म करने के बाद उसको जान से मार देना । ताकि वह उठ न खड़ी हो ।
क्या हो गया है मानसिकता को ?
कभी इन बीमार मानसिकता वालों को सुधारा जा सकेगा ?
सत्ता सुधारने के बजाय समूचे राष्ट्र को एकजुट होकर इस महाबीमारी दूर भागने का प्रयास करना होगा ।
हमारे युवा कुछ जाग्रत अवश्य हुये है किन्तु सही मार्ग दर्शन के बिना वे उन भेड़ बकरियों की भांति है कि जिधर भीड़ चल दी उधर ही चल दिये । अन्ना जी का आंदोलन चला काफी जन मानस ने एकत्र होकर यह साबित किया कि वह अब जाग चुके हैं । दिल्ली का समूहिक दुष्कर्म कांड हुआ भारी मात्रा मे युवाओं ने मोर्चा खोला ।
किन्तु उचित मार्ग दर्शन और सम्पूर्ण एकजुटता के साथ हमे एक एक कर इन बुराइयों को दूर भागना होगा ।
दस करोड़ मे यदि दस व्यक्ति भी उठ खड़े हुये तो चिंगारी तो तैयार हो ही जाएगी । और चिंगारी ही पूरी आग तैयार करती है । हमारे हिंदुस्तान मे सभी कानून है सभी सुविधाये भी उपलब्ध है किन्तु उचित जानकारी न होने के कारण लोग उसका फायदा नही उठा पाते है । जरूरत है ऐसी जानकारियाँ लोगो तक पहुँचने की ।
लोगो को ये विश्वास दिलाया जाना चाहिए कि हमारा प्रशासन उनके साथ ही है , उन्हे न्याय अवश्य मिलेगा । कानून हाथ मे लेने की जरूरत नहीं है । इस श्रंखला मे हमारा पुलिस प्रशासन , कानून , सामाजिक संगठन , कवि , लेखक इत्यादि अपने अपने स्तर पर सहायता कर सकते हैं ।
जब आजादी हमे गलत हाथो से मिली है तो उसकी कीमत तो हमे चुकनी ही पड़ेगी -- जय हिन्द
ReplyDeleteकिया तो बहुत कुछ जा सकता है अन्नू ...मगर करता कोई नहीं क्यूंकि "भगत सिंह पैदा हो यह हर कोई चाहता है, मगर पड़ोसी के घर में" और जब तक ऐसी सोच नहीं बदल जाती तब तक आम जन कुछ नहीं कर कर सकता।
ReplyDelete