Sunday, 24 February 2013

एक बालक की अभिलाषा

सूरज उगते छोटा मुन्ना बिस्तर से उठ जाता है ,
और लपक कर मम्मी की गोदी मे चुपके से चढ़ जाता है ,
और जो कुछ भी वो दे देती है वह पाकर मोद मानता है ,
अपना नया काठ का घोडा कोने से ले कर आ जाता है ,
उस पर होकर सवार वो घर से जल्दी बाहर जाता है ,
अपने बाल साथियों से फिर वो खेल खेल मे कहता है ,
यह मेरा प्यारा चेतक हल्दी घाटी मे रहता है , 
मै  राणा प्रताप हूँ इसका  ये मेरा चेतक मेरे साथ ही रहता है।

मेरी माता कहती इस पर चढ़ना आसान नहीं ,

बालू पर चलता है इसको भाता है मैदान नहीं ,

भारत का सच्चा सपूत ही इसकी पीठ पर चढ़ता है।

तब जैसे राणा प्रताप थे महाराणा भी वो कहलाता है ॥






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