सूरज उगते छोटा मुन्ना बिस्तर से उठ जाता है ,
और लपक कर मम्मी की गोदी मे चुपके से चढ़ जाता है ,
और जो कुछ भी वो दे देती है वह पाकर मोद मानता है ,
अपना नया काठ का घोडा कोने से ले कर आ जाता है ,
उस पर होकर सवार वो घर से जल्दी बाहर जाता है ,
अपने बाल साथियों से फिर वो खेल खेल मे कहता है ,
यह मेरा प्यारा चेतक हल्दी घाटी मे रहता है ,
मै राणा प्रताप हूँ इसका ये मेरा चेतक मेरे साथ ही रहता है।
मेरी माता कहती इस पर चढ़ना आसान नहीं ,
बालू पर चलता है इसको भाता है मैदान नहीं ,
भारत का सच्चा सपूत ही इसकी पीठ पर चढ़ता है।
तब जैसे राणा प्रताप थे महाराणा भी वो कहलाता है ॥
और लपक कर मम्मी की गोदी मे चुपके से चढ़ जाता है ,
और जो कुछ भी वो दे देती है वह पाकर मोद मानता है ,
अपना नया काठ का घोडा कोने से ले कर आ जाता है ,
उस पर होकर सवार वो घर से जल्दी बाहर जाता है ,
अपने बाल साथियों से फिर वो खेल खेल मे कहता है ,
यह मेरा प्यारा चेतक हल्दी घाटी मे रहता है ,
मै राणा प्रताप हूँ इसका ये मेरा चेतक मेरे साथ ही रहता है।
मेरी माता कहती इस पर चढ़ना आसान नहीं ,
बालू पर चलता है इसको भाता है मैदान नहीं ,
भारत का सच्चा सपूत ही इसकी पीठ पर चढ़ता है।
तब जैसे राणा प्रताप थे महाराणा भी वो कहलाता है ॥
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