विहंगो की मधुर ध्वनि से,
नीरवता का आवरण टूटा ।
रवि रश्मियों ने भास्कर के,
आगमन का आगाज किया ।
आलोकित हुआ सारा जगत,
पुलकित हुई मानवता ।
पुनः सृष्टि का नव संचार हुआ,
नवजीवन पाया धारिता ने ।
चंहु ओर खिले कुसुम ,
कोयल ने अपना गीत सुनाया ।
नीरवता का आवरण टूटा ।
रवि रश्मियों ने भास्कर के,
आगमन का आगाज किया ।
आलोकित हुआ सारा जगत,
पुलकित हुई मानवता ।
पुनः सृष्टि का नव संचार हुआ,
नवजीवन पाया धारिता ने ।
चंहु ओर खिले कुसुम ,
कोयल ने अपना गीत सुनाया ।
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