Thursday, 28 November 2013

उद्घोष फिर सुनना होगा ..............कविता


नवयुवा तुम्हें जागना होगा
उद्घोष फिर सुनना होगा
नींद न ऐसी सोना तुम
कर्म न ऐसे करना तुम
जिससे मान भंग हो
तिरंगे की शान कम हो
सूर्य सम चमकना होगा
नवयुवा ...............
देश की पुकार सुनो
माँ की गुहार सुनो
समय की ललकार सुनो
बुराई का प्रतिकार करो
कंधों को मजबूत बनाना होगा
उद्घोष फिर सुनना होगा
नवयूवा ..................







3 comments:

  1. राष्ट्र का भाग्य तो इन्ही के हाथ में है. सुन्दर सन्देश.

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  2. kash apaki soch hamare aaj ke film nirmatao ke andar aajaye bahut sundar

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