Friday, 4 October 2013

माँ !!

एक लघु कविता आपके समक्ष । 

माँ !!

नेह ममता 
लाड़ दुलार 
अविस्मरण रूप 
स्नेह की गागर 
छलकाती । 

आँखों मे असंख्य 
अबूझ स्वप्न 
स्नेह सिक्त 
जल धारा बरसाती ।
होती ऐसी माँ !!!.................. अन्नपूर्णा बाजपेई

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