भजन
हे प्रभु !! तेरी महिमा नहि जाय मुझसे गाई
अनुपम तुम्हारी माया नहि भेद ये जाना जाई
शास्त्र पुराण सारे मुनि सिद्ध वेद ये प्यारे
नाम तुम्हारा उचारि कर हारे
अपरमपार तुमरी लीला नहीं पार नाथ पाई
त्रैलोक भुवन अरु चौदह रचन प्रभु !!
सुर नाग नर बनाकर शक्ति प्रभु दिखाई
अविनाशी निर्विकारी चेतन अन्नद राशि
हर जगह तू ही बसा है लीला तेरी लखाई
सब नर नारी तुझको ही ध्यावे
नूतन तेरा ही गुणगान सुनावें
आनंद ब्र्म्ह को पावें भाव बंधन को मिटाई । हे प्रभु !!!
बहुत ही सुन्दर बेहतरीन प्रस्तुती,धन्यबाद।
ReplyDeleteआपका धन्यवाद ।
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