शब्दों के घेरे
घेर लेते है मुझे
किसी चिड़िया की
मानिंद आ बैठते हैं
हृदय रूपी वृक्ष द्वार पर
कल्पनाओं की टहनी पर
फुदक फुदक कर
बनाते है नई रचनाये
गीत कवित्त कवियाएं
कल्पनाओं की उड़ान
को देते हैं हर बार
नए पंख लगा बैठते
हर बार टहनी टहनी
मेरे नए जीवन की
हर सुबह को देते
एक सूरज नया ।
बहुत खूब ... यूं ही नया सूरज मिलता रहे
ReplyDeletethanks didi
Deletesunda bahut sundar.....
ReplyDeletethankas rewa ji .
ReplyDeletevery nice expressed.
ReplyDeleteVinnie
Very well expressed.
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