प्राचीन काल से हम देखते आए है कि बालक अपने पिता की छत्र छाया मे ही स्वयं को महफूज़ पाता है । पिता के चौड़े सीने पर सिर टिका कर बच्चा हर गम भूल जाता है , एक सशक्त अहसास पा जाता है । आज के अङ्ग्रेज़ी चलन ने हमारे संस्कारों और रिश्तो के मायने ही बदल दिये है , पिता जी , बाबू जी , पापा जी अब डैड, डैडा, डैडू, पोप्स पर आकार सीमित हो गए है और शब्दों के अनुसार ही रिश्तों के अर्थ भी बदल गए है । यहाँ मै स्पष्ट करना चाहूंगी कि मै बदलते परिवेश मे बदलाव के खिलाफ नहीं हूँ और न ही ये कहना चाहती हूँ कि शब्द गलत है । गलत हो गयी है सोच, अंग्रेज़ियत का चश्मा पहने आज की पीढ़ी मे रिश्ते निभाने की काबिलियत खत्म हो गयी है। एकल परिवारों के बढ़ते चलन ने रही सही कसर भी पूरी कर दी है ।
आजकल बच्चे जिस पिता की उंगली थाम कर चलना सीखते हैं उसी पिता को वे अपनी प्राइवेसी मे बाधक मानते है। जो पिता उनके बचपन मे उनके द्वारा किए गए सैकड़ों प्रश्नो के उत्तर खुशी खुशी देते नहीं थकता था उसी पिता के एक भी प्रश्न को अपने जी का जंजाल मान उत्तर देना जरूरी नहीं समझते।
विदेशों से आयी इस परंपरा ने कि एक दिन चलिये आज फादर्स दे मना लेते हैं आज मदर्स डे मना लिया जाय , एक दिन महिला दिवस मना लिया जाय : एक दिन उनके नाम तो किया है । किन्तु ये उसी तरह है जैसे कोई त्योहार आता है तो लोग बस परंपरा निभा कर कर्तत्व की इति श्री कर लेते है । कहीं कहीं तो लोग इस परिवर्तन के विषय मे अनभिज्ञ ही है । मनाइए जरूर मनाइए फादर्स डे लेकिन इस बार कुछ इस तरह कि पिता जी का मन भी प्रफुल्लित हो उठे और वे कह उठें कि काश ! हर दिन हो फादर्स डे । आखिर उन्होने आपके लिए अपने जीवन की हर खुशी कुर्बान की है आपकी हमारी खुशी का हमेशा ख्याल रखा है, और रखते भी है । दीजिये उन्हे सरप्राइज़ और फिर देखिये उनके चेहरे की खुशी ।
“ बाबुल प्यारे
तुमसे ही रौशन है,
चिराग हमारी दुनिया के,
तुम बागवान हो ,हम
फूल हैं तेरी बगिया के,
जो तुम न होते ,
हम भी न होते ,
बस फूल ही रहते धूल के ,
बाबुल प्यारे !!!!!!!!!!!
ReplyDeleteबहुत अच्छी अभिव्यक्ति !
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LATEST POST जन्म ,मृत्यु और मोक्ष !
pyari si abhivyakti, achchha laga aapke blog tak pahuch kar:)
ReplyDeleteabhar ...
धन्यवाद मुकेश जी। यूं ही आते रहिए और हौसला बढाते
Deleteजो तुम न होते ,
ReplyDeleteहम भी न होते ,
बस फूल ही रहते धूल के ,
बाबुल प्यारे !!!
सच् कहा आप ने ....
अरे वाह ! मीना जी आखिर मिल ही गई , धन्यवाद हौसला अफजाई के लिए।
Deleteसुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteधन्यवाद तुषार जी ।
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