Tuesday, 7 May 2013

माँ के रूप मे नारी

 सहस्त्र्म तु पितृन माता गौरवेणातिरिच्यते"
मनु स्मृति मे कहा गया है की दस उपाध्यायों से बढ़कर एक आचार्य होता है , सौ आचार्यों से बढ़कर एक पिता होता है और एक हजार पिताओं से बढ़ कर एक माँ होती है । माँ को संसार मे सबसे बड़े एवं सर्व प्रथम विश्व विद्यालय का दर्जा दिया गया है । संतान को जो शिक्षा और संस्कार माँ देती है , वह कोई भी संस्था या विद्यालय नहीं दे सकता । माता के गर्भ से ही यह प्रशिक्षण प्रारम्भ हो जाता है और निरंतर जारी रहता है । हमारे शास्त्रों मे अनेक प्रमाण मिलते है की माता द्वारा दी गई शिक्षा से संतान को अद्वितीय उपलब्धियां मिली है । वीर अभिमन्यु ने माता के गर्भ मे ही चक्रव्यूह भेदन की विद्या सीख ली थी । माता कौशल्या ने अपने पुत्र श्री राम को मर्यादा पुरुषोत्तम बना दिया । शुकदेव मुनि को सारा ज्ञान माँ के गर्भ मे ही प्राप्त हो गया था । और संसार मे आते ही वे सच्चे वैरागी हो घर त्याग कर चल दिये थे ।

श्री राम चरित मानस मे माता सुमित्रा के उपदेश का बड़ा ही मार्मिक प्रसंग आया है जिसको गोस्वामी तुलसी दास जी ने इन पंक्तियों मे प्रस्तुत किया है –
                
     रागु रोषु इरिषा मद मोहू । जनि सपनेहु इन्ह के बस होहू ॥
    सकल प्रकार विकार बिहाई । मन क्रम बचन करेहू सेवकाई ॥
  जेहि न रामु बन लहहि कलेसू । सुत सोइ करेहु इहइ उपदेसू ॥

तात्पर्य यह है कि श्री राम और सीता का वनगमन राष्ट्र उत्थान और मानव कल्याण के लिए हो रहा है , उनका यह अभियान तभी सफल होगा जब तुम राग द्वेष, ईर्ष्या , मद , मोह के वश मे सपने मे भी नहीं होगे और सब प्रकार के विकारों का परित्याग कर मन वचन और कर्म से उनकी सेवा करोगे , तुम वही करना जो राम तुमसे कहे।
इतनी अच्छी तरह से अपने पुत्र को उन्होने सेवा का मर्म समझा दिया था । पुत्र लक्ष्मण को माता सुमित्रा द्वारा दी गई शिक्षा समाज तथा राष्ट्र की सेवा करने वाले के लिए सच्ची शिक्षा है । अपने निजी स्वार्थ का त्याग कर परहित के लिए चिंतित होना और कुछ करने के लिए तत्पर होने की शिक्षा एक संस्कार वान माँ ही अपने बच्चे को दे सकती है । माता मदलसा ने अपने बच्चों को लोरी सुनते हुए ही सच्ची शिक्षा दे डाली थी ।

इस तरह से हम पौराणिक काल से ही यह देखते आए है बच्चे और माता का संबंध अलौकिक अद्वितीय है । सुसस्कृत माँ ही बच्चे को संस्कार वान बनाने मे सफल रहती है । माँ शब्द मे एक अनोखी प्यारी सी अनुभूति छिपी हुई है जो बच्चे जीवन मे नएपन संचार करती है 


5 comments:

  1. सच है की मां, मां है जो जीवन को संवार देती है
    सुंदर वर्णन
    बधाई शानदार रचना हेतु

    ReplyDelete
  2. माँ से बड़ा कोई नहीं | माँ सर्वस्व है और शाश्वत सत्य है | बहुत सुन्दर लेख | इस लेख के लिए आपको मेरा सादर प्रणाम |

    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

    ReplyDelete
  3. सुन्दर प्रस्तुति बहुत ही अच्छा लिखा आपने .बहुत ही सुन्दर रचना.बहुत बधाई आपको

    ReplyDelete
  4. सुंदर वर्णन

    ReplyDelete
  5. सुन्दर प्रस्तुति

    ReplyDelete