आज फिर आँख भर आई,
हुई फिर से रुसवाई ,
लेकिन शायद कोई है,
जिसकी आँख मे एक बूंद न आई,
आज फिर ..............
भारत माँ का एक और सपूत,
शिकार नृशंश्ता का गवाह बन गया ,
बचपन की यादें छोड़ गया,
जीवन का राग है छोड़ गया,
बिलखती थी तरुणाई अरु ममताई,
आज फिर .........
पड़ोसी दुश्मनों से हम,
बचेंगे भला कब तलक,
एक ने सिर है काटा,
दूजे ने छुरी घुसाई,
आज फिर .................
अरे! नादानों !उठो !
अब तो जागो !
कब तक देखते रहोगे !
यूं ही बंद आँखों से,
मूक लबों से,
चंहु ओर फैली ये,
अजब गज़ब करुणाइ,
आज फिर .........................
शायद समझ न आयेगा,
जीवन यूं ही बीता जाएगा,
निशब्द तुम रहोगे ,
शब्दातुर वो रहेंगे ,
जीवन "आम"का यूं ही,
तमाम होता जाएगा,
नूतन देख दशा प्रिय भारत!
कब टूटेगी तंद्राई,
आज फिर आँख ...................
हुई फिर से रुसवाई ,
लेकिन शायद कोई है,
जिसकी आँख मे एक बूंद न आई,
आज फिर ..............
भारत माँ का एक और सपूत,
शिकार नृशंश्ता का गवाह बन गया ,
बचपन की यादें छोड़ गया,
जीवन का राग है छोड़ गया,
बिलखती थी तरुणाई अरु ममताई,
आज फिर .........
पड़ोसी दुश्मनों से हम,
बचेंगे भला कब तलक,
एक ने सिर है काटा,
दूजे ने छुरी घुसाई,
आज फिर .................
अरे! नादानों !उठो !
अब तो जागो !
कब तक देखते रहोगे !
यूं ही बंद आँखों से,
मूक लबों से,
चंहु ओर फैली ये,
अजब गज़ब करुणाइ,
आज फिर .........................
शायद समझ न आयेगा,
जीवन यूं ही बीता जाएगा,
निशब्द तुम रहोगे ,
शब्दातुर वो रहेंगे ,
जीवन "आम"का यूं ही,
तमाम होता जाएगा,
नूतन देख दशा प्रिय भारत!
कब टूटेगी तंद्राई,
आज फिर आँख ...................
sach likha apne apni rachna mey.....pata nahi kab tak ye silsila chalega....
ReplyDeleteबहुत दुखद है, कुछ कहते नहीं बनता
ReplyDeleteडैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
lateast post मैं कौन हूँ ?
latest post परम्परा
सार्थक और सटीक लिखा आपने
ReplyDeleteबधाई
आग्रह है मेरे ब्लॉग का भी अनुसरण करें
http://jyoti-khare.blogspot.in
बहुत बढिया
ReplyDeleteबेहद सुन्दर रचना | सादर
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
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