राष्ट्रीय महिला सशक्ति करण नीति :-
इस नीति को भारत सरकार ने २० मार्च २००१ को स्वीकार किया था .इसका मुख्य टार्गेट महिलाओं की उन्नति ,विकास और सशक्तिकरण करना , उनके प्रति हर भेदभाव को ख़त्म करना और जीवन व् सामाजिक गतिविधियों के हर क्षेत्र में उनकी भागीदारी को सुनिश्चित करना है. आर्थिक , सामाजिक एवं राजनैतिक क्षेत्रों में महिलाओं का सशक्तिकरण , निर्णय - निर्माण की प्रक्रिया में उन्हें शामिल किया जाना , न्यायिक कानून व्यवस्था को उनके प्रति संवेदनशील बनाना , उनके प्रति सब प्रकार की हिंसा को को ख़त्म करना ,इन सबके अलावा बालिकाओं को जन्म के साथ ही उनके सम्पूर्ण मौलिक अधिकारों की प्राप्ति , में सभी इस नीति के मुख्य बिंदु हैं .
१) महिलाओं के पूर्ण विकास के लिए आर्थिक एवं
सामाजिक नीतियों के माधयम से एक ऐसा वातावरण तैयार करना जिससे वे अपनी पूर्ण क्षमताओं की पहचान कर सकें .
२) राजनीतिक , आर्थिक , संस्कृतिक , सामाजिक एवं प्रशासनिक सभी क्षेत्रों में महिलाएं पुरषों के सामान ही अपनी मूलभूत स्वतंत्रताओं व् मानवाधिकारों का , जो वैधानिक शक्तियों से उन्हें मिलें हैं , वे वास्तव में उपभोग कर सकें .
३) राष्ट्र के राजनितिक , आर्थिक , सामाजिक क्षेत्र में महिलाओं की बराबर पहुच हो , और निर्णय निर्माण की प्रकिया में उनकी बराबर की भागीदारी हो .
४) स्वस्थ्य चिकित्सा , सभी स्तरों पर शिछा , व्यावसायिक शिछा , सामाजिक सुरछा व् सार्वजनिक कार्यक्रमों तक महिलाओं की पहुच हो .
५) महिलाओं के प्रति सभी प्रकार की हिंसा को ख़त्म करने के लिए न्याय व्यवस्था तथा कानून व्यवस्था को मजबूत करना .
६) स्त्री व् पुरुष दोनों के साझा प्रयासों से सामाजिक द्रष्टिकोण और सामुदायिक परम्पराओं व् रीति रिवाजों को बदलना .
७) विकास प्रक्रिया में महिलाओं के लैंगिक द्रष्टिकोण को मुख्यधारा में लाना .
८) महिलाओं और बालिकाओं के प्रति हर प्रकार के भेदभाव और हिंसा को ख़त्म करना .
९) नागरिक समाज , विशेष कर महिला संगठनों के साथ भागीदारी को और अधिक मजबूत करना .
नीति के इन बिन्दुओं को हासिल किया जा सके इसके लिए मानव संसाधन मत्रालय ने कार्य योजना का मसौदा तैयार किया है . इसमें नीति के लक्ष्यों को २०१० तक पाने की बात है . इनको आगे और बढ़ाने तथा संसाधन मुहैया करने की प्रतिबद्धता जताई गई है .
देखने वाली बात ये है कि ये कहाँ तक सफल है । क्या महिलाएं सचमुच ही इन नीतियों के प्रति स्वयं जागरूक है या नहीं । यदि नहीं तो उन्हे अब जागरूक होने की अत्यन्त आवश्यकता है ।
यदि आप सब सहमत है तो अपने कमेन्ट नीचे दिये कालम मे अवश्य लिखें ।
इस नीति को भारत सरकार ने २० मार्च २००१ को स्वीकार किया था .इसका मुख्य टार्गेट महिलाओं की उन्नति ,विकास और सशक्तिकरण करना , उनके प्रति हर भेदभाव को ख़त्म करना और जीवन व् सामाजिक गतिविधियों के हर क्षेत्र में उनकी भागीदारी को सुनिश्चित करना है. आर्थिक , सामाजिक एवं राजनैतिक क्षेत्रों में महिलाओं का सशक्तिकरण , निर्णय - निर्माण की प्रक्रिया में उन्हें शामिल किया जाना , न्यायिक कानून व्यवस्था को उनके प्रति संवेदनशील बनाना , उनके प्रति सब प्रकार की हिंसा को को ख़त्म करना ,इन सबके अलावा बालिकाओं को जन्म के साथ ही उनके सम्पूर्ण मौलिक अधिकारों की प्राप्ति , में सभी इस नीति के मुख्य बिंदु हैं .
१) महिलाओं के पूर्ण विकास के लिए आर्थिक एवं
सामाजिक नीतियों के माधयम से एक ऐसा वातावरण तैयार करना जिससे वे अपनी पूर्ण क्षमताओं की पहचान कर सकें .
२) राजनीतिक , आर्थिक , संस्कृतिक , सामाजिक एवं प्रशासनिक सभी क्षेत्रों में महिलाएं पुरषों के सामान ही अपनी मूलभूत स्वतंत्रताओं व् मानवाधिकारों का , जो वैधानिक शक्तियों से उन्हें मिलें हैं , वे वास्तव में उपभोग कर सकें .
३) राष्ट्र के राजनितिक , आर्थिक , सामाजिक क्षेत्र में महिलाओं की बराबर पहुच हो , और निर्णय निर्माण की प्रकिया में उनकी बराबर की भागीदारी हो .
४) स्वस्थ्य चिकित्सा , सभी स्तरों पर शिछा , व्यावसायिक शिछा , सामाजिक सुरछा व् सार्वजनिक कार्यक्रमों तक महिलाओं की पहुच हो .
५) महिलाओं के प्रति सभी प्रकार की हिंसा को ख़त्म करने के लिए न्याय व्यवस्था तथा कानून व्यवस्था को मजबूत करना .
६) स्त्री व् पुरुष दोनों के साझा प्रयासों से सामाजिक द्रष्टिकोण और सामुदायिक परम्पराओं व् रीति रिवाजों को बदलना .
७) विकास प्रक्रिया में महिलाओं के लैंगिक द्रष्टिकोण को मुख्यधारा में लाना .
८) महिलाओं और बालिकाओं के प्रति हर प्रकार के भेदभाव और हिंसा को ख़त्म करना .
९) नागरिक समाज , विशेष कर महिला संगठनों के साथ भागीदारी को और अधिक मजबूत करना .
नीति के इन बिन्दुओं को हासिल किया जा सके इसके लिए मानव संसाधन मत्रालय ने कार्य योजना का मसौदा तैयार किया है . इसमें नीति के लक्ष्यों को २०१० तक पाने की बात है . इनको आगे और बढ़ाने तथा संसाधन मुहैया करने की प्रतिबद्धता जताई गई है .
देखने वाली बात ये है कि ये कहाँ तक सफल है । क्या महिलाएं सचमुच ही इन नीतियों के प्रति स्वयं जागरूक है या नहीं । यदि नहीं तो उन्हे अब जागरूक होने की अत्यन्त आवश्यकता है ।
यदि आप सब सहमत है तो अपने कमेन्ट नीचे दिये कालम मे अवश्य लिखें ।
सार्थक और ज्ञानप्रद पोस्ट आभार
ReplyDelete(कृपया वर्ड वरिफिकेसन हटा दीजिये )
kyaa aap ki yae post mae naari blog par dae saktee hun aap kae naam kae saath
ReplyDeleterachna
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteसार्थक लेख | आभार |
ReplyDeleteTamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
बहुत अच्छी जानकारी दी है आपने महिला सशक्तिकरण के बारे नें |
ReplyDeleteआशा
mahilaon ko samman o adhikar dene hi har yojna ko pranam karta hun.
ReplyDeletemahilaon ko samman o adhikar dene hi har yojna ko pranam karta hun.
ReplyDeletein my opinion, the main reason behind all differences between male and female lies in dowry(dahejpratha) ,we must stop it completely either by making some legal punishment not only against taking dowry as crime but also giving dowry as crime because in our poor country many peoples cant afford giving dowry but many rich persons outshows their money by giving big dowry in marriages that encourage marriage with dowry and also other people demands for dowry that many poors cant fullfill that mainly leads to most of people thinking female child as a bojha since from her birth or even before using some diagnostic techniques and many inequity among male and female child and many more things like dowry deaths, nari asikhsa, female bhroondh hatya and many more things. if one want make equity among male & female i request every reader to think about this this is small reason beneath big issue .. . .
ReplyDeleteभारत में महिला सशक्तिकरण एक विषय है जिस पर चर्चा करना अधिक महत्वपूर्ण होता है और मनीषा बापना जी अपने लिए महिलाओं के लिए हर संभव मदद देते हैं और प्रत्येक कल्पनीय प्रस्ताव सहायता के साथ उन्हें सहायता करती हैं। भारत में महिला सशक्तिकरण
ReplyDeleteमैंने आपका ब्लॉग को पढ़ा है, यह बहुत आकर्षक और प्रभावशाली है | मुझे यह तुम्हारा ब्लॉग पसंद है
ReplyDeleteमनीषा बापना मध्यप्रदेश में महिला सशक्तिकरण के लिए काम कर रही हैं। वह बच्चों, युवा लड़कियों और महिलाओं को अच्छे स्पर्श और बुरा स्पर्श के बारे में भी जानकारी प्रदान करती है। महिलाओं को लिए बेहतर स्थिति प्रदान करने के लिए डॉ. मनीषा बापना महिला सशक्तिकरण के लिए काम करती हैं।