कुछ त्रिपदियाँ ...
शिरोमणि कहलाने वाले !!
क्या पीड़ा हर लोगे तुम ...
क्या व्यथाओं को समझ सकोगे तुम ?
इन चिथड़ों मे जीवन है
चिथड़ों की हो रही चिन्दियाँ
क्या ये चिन्दियाँ समेट सकोगे तुम ?
भग्न हो चुका मन प्राण है
खो रही आशाओं की रशमियां
क्या रश्मियां प्रेषित कर सकोगे तुम ?
पी रहे हम हलाहल हैं
फिर क्यों कोलाहल है
क्या जीवन अमृत दे सकोगे तुम ?
शिरोमणि कहलाने वाले !!
क्या पीड़ा हर लोगे तुम ...
क्या मधुबन की खुशबू दिला सकोगे ?
अन्नपूर्णा बाजपेई
शिरोमणि कहलाने वाले !!
क्या पीड़ा हर लोगे तुम ...
क्या व्यथाओं को समझ सकोगे तुम ?
इन चिथड़ों मे जीवन है
चिथड़ों की हो रही चिन्दियाँ
क्या ये चिन्दियाँ समेट सकोगे तुम ?
भग्न हो चुका मन प्राण है
खो रही आशाओं की रशमियां
क्या रश्मियां प्रेषित कर सकोगे तुम ?
पी रहे हम हलाहल हैं
फिर क्यों कोलाहल है
क्या जीवन अमृत दे सकोगे तुम ?
शिरोमणि कहलाने वाले !!
क्या पीड़ा हर लोगे तुम ...
क्या मधुबन की खुशबू दिला सकोगे ?
अन्नपूर्णा बाजपेई
Aaj nirdhan vrg ki yahi sthiti hai.
ReplyDeleteVinnie,
सही कहा अपने विनी दी ।
Deletegaribo ka koi nahi hau
ReplyDeleteआपका कथन सत्य है ।
Deleteसुन्दर त्रिपदियाँ
ReplyDeleteinchindiyon kee baare men sochne kaa fursat hai kya kisi netaon ke paas ?
ReplyDeleteNew post: शिशु
inchindiyon kee baare men sochne kaa fursat hai kya kisi netaon ke paas ?
ReplyDeleteNew post: शिशु
बहुत बेहतरीन रचना.... !!
ReplyDeleteअनेक निरुत्तरित प्रश्नों की मनोकामना---.
ReplyDeleteह्रदयस्पर्शी..
ReplyDeleteआप सबका अनन्य आभार ।
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