Wednesday 4 September 2013

लघु कथा - गंदी नाली के कीड़े

गंदी नाली के कीड़े

बड़े साहब की गाड़ी जैसे ही चौराहे पर सिग्नल के लिए रुकी एक चौदह पंद्रह वर्षीय बालक हाथ मे कपड़े का टुकड़ा लिए उनकी गाड़ी की तरफ लपका और फटाफट शीशे चमकाने लगा । शायद ये लोग कुछ पैसों की खातिर अपनी जान को जोखिम मे डाले फिरते है । क्या करे पेट की आग और गरीबी की मार कुछ भी करवाती है । बड़े साहब ने नई मर्सिडीज़ खरीदी थी उस पर उस बच्चे के गंदे हाथ देख तिलमिला गए , उतरे और एक जन्नाटे दार थप्पड़ उसके कोमल गाल पर जड़ दिया , - “ यू रासकल्स ! गंदी नाली के कीड़े ! तेरी हिम्मत कैसे हुई गाड़ी को हाथ लगाने की ।” बच्चा सकपका गया आँसू ढुलक कर गाल पर गिरने लगे इनता ही बोला – “ साब मै तो .....................।” “शटअप !!!!!!” ज़ोर से चीखे बड़े साहब और गाड़ी जाकर बैठ गए ।
 सुबह जब वह बच्चा फिर अपनी दिहाड़ी के लिए आया तो देखा  बढ़िया लक़दक़ करता सूट , चमाचम बूट , गले मे नेक टाई , कलाई पर सुनहरी चेन वाली घड़ी पहने कोई आदमी रोड किनारे नाली मे गिरा हुआ है उसकी गाड़ी दीवार से ठुकी हुई है । वो चौंका “ ये तो कल रात वाले साहब है जिन्होने मुझे थप्पड़ मारा था ।” उसने उनका मुंह घुमाया तो बड़े ज़ोर का भभका उसकी नाक को चीर गया ।  “ ऊँह गंदी नाली के कीड़े कहीं के ।” कहता हुआ वह आगे बढ़ गया ।

14 comments:

  1. सच में नाली के कीड़े तो साहब ही थे ....

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    1. जी संगीता दीदी , सही है क्योकि गंदी सोच और हरकतों वाला भी कीड़ा ही होता है ।

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  2. ये वक़्त सबसे बड़ा बलवान है

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    1. सच कहा आपने अभि । कथा को समय देने के लिए आभार ।

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  3. हाँ जी वक्त वक्त की बात है ...

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    1. जी अंजु जी वक्त की ही बात है , यदि ऐसा न होता तो वे महानुभाव नाली मे खुद ही न गिरते ।

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  4. कीड़े तो साहब ही थे .. वक़्त सबसे बड़ा बलवान है

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    1. जी दिनकर जी , कायदे से कीड़े तो साहब ही थे , उनकी सोच भी गंदी ही थी । अपने समय का अमूल्य हिस्सा हमारी रचना को देने के लिए आपका आभार ।

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  5. इन कीड़ों से बचकर ही रहना...

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    1. वाह ! हा हा हा ! धन्यवाद ।

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  6. जी यशोदा जी , धन्यवाद ।

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  7. waqt bada balwan hota hai....dikha diya kaun kida hai ....

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  8. aap ne sach hI kahaa hai.
    Vinnie

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  9. अच्छा लिखा है ईश्वर यहाँ का किया कर्म यहीं दिखा देता है :)

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